खुद के लिए भी क्या जीना है..
सब जी कर भी क्या करते हैं..
प्रतिस्पर्धा में खो जाते हैं..
आखिर घुट-घुट कर ही तो मरते हैं..
जीना कोई काम नहीं..
करना है अगर तो नाम करो..
मदद करो, उपकार करो..
मेहनत, सुबह से ले कर शाम करो..
आगे आओ न शर्माओ..
दुनिया को कुछ देकर जाओ..
दुनिया भी तुम्हें फिर याद करे..
उम्मीद करे और प्यार करे..
सुनिश्चित करो कोई दुखी न हो..
हर व्यक्ति को सम्मान मिले..
वो खुश हो जाये वो मुस्काए..
हर पल कलियों के समान खिले..
जिस दिन ऐसा हो जाएगा..
खुद को खुदा के पास तू पाएगा..
लघु है जीवन, वक़्त पर काम करो..
मोह को त्याग दो और अपना नाम करो!